चिपको आन्दोलन की महत्वपूर्ण जानकारी
चिपको आन्दोलन (Chipko movement) वनों की अबैध काटाई को रोकने के लिए शांत और अहिंसा पूर्वक आन्दोलन था जिसकी शुरूआत 26 मार्च, 1974 को हुई थी इस आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण था तो आइये जानें चिपको आन्दोलन के बारे में – Know about the Chipko movement
चिपको आन्दोलन की महत्वपूर्ण जानकारी
इस आन्दोलन की शुरूआत उत्तराखंड के चमोली जिले से हुई थी दरअसल उस समय रैंणी गाँव के जंगल से लगे लगभग ढाई हज़ार पेड़ों को काटने की नीलामी हुई और जिस समय इन पेडों को काटने के लिए ठेकेदार और अन्य व्यक्ित आये तो गौरा देवी (Gaura devi) नामक महिला ने अन्य महिलाओं के साथ इस नीलामी का विरोध किया और उन्होंने ठेकेदारों और अन्य व्यक्तियों को समझाने की कोशिश की लेकिन जब वे लोग नहीं माने तो गौरा देवी अपनी अन्य साथी महिलाओं के साथ पेडों से चिपक गई और उन्होंने कहा कि “अगर तुम्हे पेड काटने हैं तो पहले हमें काटों तब हम तुम्हें पेड काटने देंगें”
इसके फलस्वरूप वहॉ के जंंगलों को नहीं कटा गया लेकिन यह आन्दोलन नहीं रुका और इसके बाद बनों को बचाने के लिए सुन्दरलाल बहुगुणा (Sunderlal Bahuguna) ने आन्दोलन की शुरूआत की उन्होंने गॉव गॉव जाकर लोगों को जागरूक किया
चिपको आन्दोलन की वजह से केंद्र सरकार में पर्यावरण मंत्रालय का गठन हुआ और भारत में 1980 का वन संरक्षण अधिनियम पारित हुआ
इस आन्दोलन को सबसे बडी जीत तब हासिल हुई जब भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी (Prime Minister Smt. Indira Gandhi) जी ने हिमालयी वनों में वृक्षों की कटाई पर 15 वर्षों के लिए रोक लगा दी
सन 1987 में इस आन्दोलन को सम्यक जीविका पुरस्कार से सम्मानित किया गया था
Tag – Chipko Movement in India, who started chipko movement, Brief History of Chipko
Post a Comment
0 Comments