फरवरी 2018 करेंट अफेयर 2
1.गंगा नदी पर जल मार्ग परियोजना हेतु आईडब्ल्यूएआई ने विश्व बैंक के साथ समझौता किया-
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) ने बनारस से हल्दिया तक राष्ट्रीय जलमार्ग-एक पर नौवहन को बढ़ावा देने की दिशा में जलमार्ग विकास परियोजना के लिए विश्व बैंक के साथ समझौता किया है.
पोत परिवहन मंत्रालय ने एक बयान में कहा आईडब्ल्यूएआई ने विश्व बैंक के साथ 02 फरवरी 2018 को एक परियोजना को लेकर समझौता किया. जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी) के लिए आर्थिक मामलों के विभाग, वित्त मंत्रालय के साथ 3.75 करोड़ डॉलर का ऋण समझौता हुआ है.
बनारस से हल्दिया तक राष्ट्रीय राजमार्ग-1 (गंगा नदी) पर नौवहन को बढ़ावा देने के लिए लगभग 80 करोड़ डॉलर वाली जलमार्ग विकास परियोजना के क्रियान्वयन के लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद यह महत्वपूर्ण समझौता हुआ है.
परियोजना के लाभ
इस परियोजना के पूरा होने पर उत्तर प्रदेश के वाराणसी से लेकर पश्चिम बंगाल के हल्दिया तक कुल 1360 किलोमीटर लंबे जलमार्ग पर डेढ़ हजार-दो हजार टन की क्षमता वाले पोतों का वाणिज्यिक संचालन किया जा सकेगा.
विश्व बैंक के वित्तीय एवं तकनीकी सहयोग से विकसित की जा रही यह परियोजना मार्च 2023 में पूरी हो जाएगी. जेएमवीपी भारतीय जलमार्ग और पूरे परिवहन क्षेत्र का परिदृश्य बदल कर रख देगी.
पृष्ठभूमि
केंद्रीय वित्तमंत्री ने अपने 2014-15 के बजट भाषण में राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (रा.ज.1) पर जलमार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी) की घोषणा की. इसके तहत गंगा नदी पर वाराणसी से हल्दिया तक वाणिज्यिक नौवहन शुरू करना है.
इसी क्रम में इस साल तीन जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की केंद्रीय कमेटी (सीसीइए) ने 5369 करोड़ रुपए की लागत से विकसित होने वाली जलमार्ग विकास परियोजना के लिए मंजूरी दी. इससे गंगा नदी पर बन रहे राष्ट्रीय जलमार्ग-1 की नौवहन क्षमता बढ़ाई जाएगी.
2.आम बजट 2018-19 में सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) क्षेत्र को काफी बढ़ावा दिया गया है,-
आम बजट 2018-19 में सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) क्षेत्र को काफी बढ़ावा दिया गया है, ताकि रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को नई गति प्रदान की जा सके. इस क्षेत्र (सेक्टर) के लिए बजटीय आवंटन को वर्ष 2017-18 के 6481.96 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2018-19 में 6552.61 करोड़ रुपये कर दिया गया है. विभिन्न योजनाओं (सीजीटीएमएसई के अलावा) के लिए आवंटन को वर्ष 2017-18 के 3680 करोड़ रुपये से 59 प्रतिशत बढ़ाकर वर्ष 2018-19 में 5852.61 करोड़ रुपये कर दिया गया है.
एमएसएमई के लिए प्रमुख घोषणाएं-
राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता कार्यक्रम के लिए आवंटन को वर्ष 2017-18 के 506 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2018-19 में 1006 करोड़ रुपये कर दिया गया है. यह योजना एमएसएमई क्षेत्र में तकनीकी उन्नयन में मदद करेगी.
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत आवंटन को वर्ष 2017-18 के बजट अनुमान के 1024.49 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2018-19 के बजट अनुमान में 1800 करोड़ रुपये कर दिया गया है, ताकि गैर-कृषि क्षेत्र में लगभग 88,000 सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के जरिए स्व- रोजगार के अवसर सृजित किए जा सकें. इससे लगभग 7 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा.
साख गांरटी कोष को पहले ही 2500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 7500 करोड़ रुपये कर दिया गया है. इस वृद्धि के साथ-साथ संबंधित योजना में अन्य ढांचागत सुधारों की बदौलत इस सेक्टर में ऋण वृद्धि और रोजगार सृजन को काफी बढ़ावा मिलेगा.
अत्याधुनिक प्रौद्योगिक केन्द्रों की स्थापना के लिए आवंटन को वर्ष 2017-18 के बजट अनुमान के 150 करोड़ रुपये से तीन गुना से भी ज्यादा बढ़ाकर वर्ष 2018-19 के बजट अनुमान में 550 करोड़ रुपये कर दिया गया है.
खादी अनुदान के तहत आवंटन को वर्ष 2017-18 के बजट अनुमान के 265.10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2018-19 के बजट अनुमान में 415 करोड़ रुपये कर दिया गया है. गैर-परंपरागत सौर ऊर्जा के दोहन के लिए सोलर चरखा मिशन की एक नई योजना भी प्रस्तावित की गई है ताकि और ज्यादा रोजगारों का सृजन हो सके.
परंपरागत उद्योगों के पुनरुद्धार के लिए कोष योजना (एसएफयूआरटीआई) के तहत बजटीय आवंटन को वर्ष 2017-18 के बजट अनुमान के 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2018-19 के बजट अनुमान में 125 करोड़ रुपये कर दिया गया है. इससे परंपरागत एवं ग्रामीण उद्योगों में रोजगार सृजन को अभूतपूर्व बढ़ावा मिलेगा.
‘एस्पायर (नवाचार, ग्रामीण उद्योग और उद्यमिता के संवर्धन के लिए योजना)’ के तहत आवंटन को वर्ष 2017-18 के बजट अनुमान के 50 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2018-19 के बजट अनुमान में 232 करोड़ रुपये कर दिया गया है. इसके पीछे मुख्य उद्देश्य 100 आजीविका बिजनेस इन्क्यूबेटरों और 20 प्रौद्योगिकी बिजनेस इन्क्यूबेटरों की स्थापना करना है. इससे उद्यमिता और रोजगार सृजन में तेजी आएगी.
राष्ट्रीय एससी/एसटी हब के तहत आवंटन को 60 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 93.96 करोड़ रुपये कर दिया गया है ताकि एससी/एसटी उद्यमियों के कारोबार में वृद्धि को नई गति प्रदान की जा सके. विभिन्न योजनाओं के तहत एससी/एसटी घटकों हेतु पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए समग्र आवंटन में भी उल्लेखनीय वृद्धि की गई है.
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