परिचय
1. सिंधु घाटी सभ्यता दक्षिण एशिया के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में स्थित एक कांस्य युगीन सभ्यता थी। प्राचीन मिस्त्र एवं मेसोपोटामिया को सम्मिलित करते हुए यह विश्व की तीन प्राचीनतम सभयताओं में से एक थी। दयाराम साहनी के निर्देशन में 1921 में हडप्पा नामक स्थल पर पहली बार उत्खन्न कार्य प्रांरभ किया गया था, अत: इसे हडप्पा सभ्यता भी कहा जाता है।
2. इस सभ्यता का विस्तार पश्चिम दिशा में बलुचिस्तान के सुत्कागेन्डोर, पूर्व में आलमगीरपुर (उत्तर प्रदेश), दक्षिण में दायमाबाद (महाराष्ट्र) एवं उत्तर में मंदा (जम्मू कश्मीर) तक फैला हुआ है।
हडप्पा
1. यहाँ पर छ: अन्नागार एवं छ: अग्निकुंड प्राप्त हुए है।
2. यहाँ वृत्तनुमा ईटों से बने पंक्तिदार फर्श प्राप्त हुए है जो संभ्वत: खाद्यान्न के गहन के काम आते थे।
3. हडप्पा के लोग टारकोल (डामर) बनाने की विधि से अवगत थे।
4. गृह में प्रवेश के मुख्य द्वारा उत्तर दिशा में होते थे।
5. यहाँ पर R – 37 कब्रिस्तान प्राप्त हुआ है।
6. यहाँ पर माँ देवी की मिट्टी की मूर्ति प्राप्त हुई है।
मोहनजोदडो
1. मोहनजोदडो की खोज राखल दास बनर्जी द्वारा 1922 में की गई थी।
2. सिंधी भाषा में मोहनजोदडो का शाब्दिक अर्थ मृतको के टीले है।
3. यह सिंध (पाकिस्तान) के लरकाना जिले में सिंधु नदी के पश्चिम में एवं सिंधु नदी एंव घग्गर हाकडा नदी के मध्य में स्थित है।
4. सिंधु नदी वर्तमान में भी इस स्थल के पूर्व में बहती है, परन्तु घग्गर – हाकड़ा नदी सूख चुकी है।
5. यहाँ पर एक विशाल स्नानागार, एक विशाल अन्नागार, बडे हॉल, एक कांसे की नृतकी की मूर्ति, योगी की मोहर, एक 250 ग्राम वजनी गले का हार एवं कई अन्य मोहरें प्राप्त हुई है।
6. एक सभागार, रसोई व आँगन के साथ सुव्यवस्थित घरों के साक्ष्य भी प्राप्त हुए है।
7. मोहनजोदड़ो शहर की सात परतें इंगित करती है कि शहर को सात बार न्ाष्ट किया गया एवं पुन: निर्माण किया गया था।
लोथल
1. इसकी खोज एस.आर.राव द्वारा 1954 में वर्तमान गुजरात के भाल क्षेत्र में कि गई थी।
2. यहाँ से लाल – काले मिट्टी के बर्तन, तांबे के औजार, ईंटो द्वारा निर्मित टैंक की संरचना, एक मोती बनाने का कारखाना एवं ईरान की मोहर प्रात्त हुई है।
कालीबंगा
1. कालीबंगा की खोज एक इतालवी भारत विद् लुईगी पियो तेस्सीटोरी द्वारा सन 1953 में राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में की गई थी।
2. यह मोहनजोदड़ो की तरह सुव्यवस्थित नहीं थी।
3. यहाँ जल निकासी व्यवस्था नहीं थी, परंतु कुछ अग्निकुंड एवं एक जुते हुए खेत के साक्ष्य प्राप्त हुए है।
धोलावीरा
1. धोलावीरा की खोज 1922 में जे.पी. जोशी द्वारा गुजरात के कच्छ जिले में की गई थी।
2. धोलावीरा में एक दरवाजे पर बडे अक्षरों में लिख गया लेख प्राप्त हुआ है।
3. रॉक कट वास्तुकला एवं आधुनिक जल प्रबंधन व्यवस्था के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ
1. नगर नियोजन हडप्पा सभ्यता की एक प्रमुख विशेषता थी। अत: यह सभ्यता प्रथम शहरीकृत सभ्यता भी कहलाती है।
2. कस्बे दो भागों में विभक्त थे, यथा दुर्ग एवं निचला कस्बा। दुर्ग में शासन प्रबंध करने वाले सदस्य रहते थे जबकि कस्बे का निचला भाग जन साधारण के लिए था।
3. धोलावीरा इसका एकमात्र अपवाद है क्योंकि यह तीन भागों में विभक्त था।
4. कस्बे की मुख्य विशेषता उनकी जल निकासी व्यवस्था थी। नालियाँ पकी हुई ईंटों की बनी हुई थी एवं बड़े पत्थरों से ढकी हुई थी। सफाई के लिए मेनहोल्स थे। इससे ज्ञात होता है कि हडप्पा के लोग सफाई का विशेष तौर पर ध्यान रखते थे।
5. इस सभ्यता के लोग नापतौल की ईकाईयों से परिचित थे क्योंकि यहाँ से कुछ लकड़ी के टुकडे प्राप्त हुए जिन पर माप – तौल की ईकाईयाँ अंकित थी।
6. मृत्यु के बाद शव को दफनाया जाता था।
7. बनवाली एवं कालीबंगा दो चरणों को दर्शाती है, पूर्व हडप्पा सभ्यता एवं हडप्पा सभ्यता।
8. बिना दुर्ग के एकमात्र शहर चन्हुदडो था।
सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ
1. नगर नियोजन हडप्पा सभ्यता की एक प्रमुख विशेषता थी। अत: यह सभ्यता प्रथम शहरीकृत सभ्यता भी कहलाती है।
2. कस्बे दो भागों में विभक्त थे, यथा दुर्ग एवं निचला कस्बा। दुर्ग में शासन प्रबंध करने वाले सदस्य रहते थे जबकि कस्बे का निचला भाग जन साधारण के लिए था।
3. धोलावीरा इसका एकमात्र अपवाद है क्योंकि यह तीन भागों में विभक्त था।
4. कस्बे की मुख्य विशेषता उनकी जल निकासी व्यवस्था थी। नालियाँ पकी हुई ईंटों की बनी हुई थी एवं बड़े पत्थरों से ढकी हुई थी। सफाई के लिए मेनहोल्स थे। इससे ज्ञात होता है कि हडप्पा के लोग सफाई का विशेष तौर पर ध्यान रखते थे।
5. इस सभ्यता के लोग नापतौल की ईकाईयों से परिचित थे क्योंकि यहाँ से कुछ लकड़ी के टुकडे प्राप्त हुए जिन पर माप – तौल की ईकाईयाँ अंकित थी।
6. मृत्यु के बाद शव को दफनाया जाता था।
7. बनवाली एवं कालीबंगा दो चरणों को दर्शाती है, पूर्व हडप्पा सभ्यता एवं हडप्पा सभ्यता।
8. बिना दुर्ग के एकमात्र शहर चन्हुदडो था।
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